Thursday, 6 July 2017

आधी रात को अफनाए पहाड़ी नदी-नाले, एक की मौत,सगे भाई बहनों ने पेड़ों चर चढ़कर दिलेरी से बचायी जान


























मिर्जापुर।  तीन दिन से कभी तेज तो कभी धीमी गति से हो रही बरसात से बुधवार की आधीरात को लालगंज और मड़िहान तहसील क्षेत्र के पहाड़ी नदी- नालों में अचानक उफान आ गया। नालों में अचानक आयी बाढ से एक ही परिवार के छह लोगों सहित सात लोग बह गए। इसमें एक एक की मौत हो गई। जबकि सगे भाई-बहन ने पेड़ पर चढकर खुद की दिलेरी दिखाकर अपनी जान बचाया। मां और उसके दो बच्चों सहित चार लोगों का गुरुवार को दूसरे दिन भी पूरे दिन खोजबीन के बाद पता नहीं चल पाया। बाढ से दोनों तहसीलों के सौ से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। 50 से अधिक कच्चे मकान धराशयी हो गए। घरों में रखा अनाज,कपड़ा, सहित रोजमर्रा के सामान भी बह गए। प्रभावित गांवों के लोग ऊंचाई वाले स्थानों पर डेरा जमाए हैं। डीएम, एसपी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण करके राहत कार्य शुरू करने का निर्देश दिया। इसके लिए कोटेदारों,लेखपालों और प्रधानों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।










विजयकुमार और गुडिया ने पेड पर चढ बचायी जान
लालगंज और मड़िहान तहसील के पहाड़ी नालों में आधीरात को अचानक बाढ आने से अचानक कोहराम मच गया। पता चलते ही जो जैसे था उसी हाल में सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगा। भागने में सफल न होने पर विंध्याचल कोतवाली के कामापुर गांव के लेहड़िया मजरे में पहाड़ी नदी खजुरी के तट पर पत्थर का मकान बनाकर रहे शेषमणि मौर्य के परिवार के छह सदस्य बाढ में बह गए। सुबह बाढ की सूचना पर सक्रिय हुए प्रशासन और पुलिस फोर्स व आस-पास के गांवों के लोगों की मौके पर भीड़ जुट गयी। काफी खोजबीन के बाद शेषमणि की पत्नी 50 वर्षीय श्यामकुमारी का शव घर से तीन किमी दूर मिला। बाढ में बहा 20 वर्षीय बेटा विजयकुमार और 14 वर्षीय बेटी गुड़िया पेड़ पर चढ़ गए थे। ग्रामीणों और पुलिस फोर्स ने उनको सही सलामत बाहर निकाला। बेटे ने महुआ के पेड़ पर तो बेटी ने आम के टहनी को पकड़कर पेड़ पर चढ़कर जान बचाना बताया। जबकि मायके में आयी शेषमणि की बड़ी बेटी 24 वर्षीय चंद्रवती और उसका डेढ वर्ष का बेटा छोटू व चार वर्ष की बेटी आकांक्षा लापता हैं। गुरुवार को पूरे दिन खोजबीन के बाद भी तीनों का पता नहीं चला। तीनों की खोजबीन के लिए टीमों को लगाया गया है। खुद एसडीएम सदर अविनाश त्रिपाठी,लालगंज एसडीएम वागीश शुक्ला, सीओ लालगंज और सीओ सदर पूरे दिन मौके पर जुटे रहे।



बैजनाथ का भी नही चल सका पता
इसी तरह लालगंज थाना के सेमरा प्रताप सिंह गांव में घर से कुछ ही दूरी पर फूस की ऊंची छतरी बनाकर रह रहे 75 वर्षीय बैजनाथ भी मेड़रा नाले में बाढ आने से रात में बह गए। सुबह परिवार के सदस्यों ने उनकी खोजबीन की तो चार सौ मीटर दूर रामबली के खेत में उनका चादर मिला। बैजनाथ का भी पूरे दिन खोजबीन के बात कहीं पता नहीं चला। डीएम विमल कुमार दुबे, एसपी आशीष तिवारी ने लालगंज तहसील के प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण करके लेखपालों, प्रधान और कोटेदारों को हर संभव राहत देने का निर्देश दिया। कहाकि आपदा के समय राहत देने में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त न करें।


जाको राखे साइयों मार सके ना कोय
जाको राखे साइयां मार सके ना कोय..यह कहावत गुरुवार को विंध्याचल कोतवाली के कामापुर ग्राम पंचायत के लेहड़िया गांव के शेषमणि पाल पर सटीक बैठती है।बाढ आने की उनको दूर दूर तक सूचना नहीं थी। परिवार के सदस्यों को भी अचानक इतनी बरसात में नदी में बाढ आने की उम्मीद नहीं थी। इसलिए सभी लोग बेफिक्र थे। बेटी के घर पर आने के बाद वह रिश्तेदारी में घूमने चले गए। सुबह घटना की जानकारी उनको टेलीफोन पर दी गई। जब वह रिश्तेदारी से घर के लिए निकले और दोपहर बाद घर पहुंचे। यहां आने के बाद दर्दनाक मंजर देखकर वह गश खाकर गिरने लगे। गांव के लोगों ने उनको किसी तरह ढांढस बंधाया। तब जाकर उनकी हालत कुछ ठीक हुई।



मौत के मुंह से निकले भाई बहन की घंटों अटकी सांसें
कामापुर गांव के लेहड़िया गांव में खजुरी नदी में आयी अचानक बाढ से बहे  भाई बहन की दस घंटे बाद सुरक्षित बाहर निकलने के बाद घंटों तक सांसें अटकी रहीं। मौत के मुंह से सही सलामत बचकर आने के बाद उनके समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या बताएं। दोनों ने बताया कि पूरी रात वह भगवान से खुद के बचने की प्रार्थना करते रहे। अपने से ज्यादा पेड़ो के पानी में न बहने की प्रार्थना करते रहे। दोनों ने कहाकि यदि पेड़ बह जाता तो उनको बचना मुश्किल होता। कई बार पानी के बहाव से ऐसा लगा कि पेड़ टूट जाएगा लेकिन पेड़ उनके लिए भगवान स्वरूप खड़े रहे और उनकी जान बच गयी। दोनों ने कहाकि इन पेड़ों को वह भगवान मानकर ताउम्र पूजा करेंगे।


रात के सन्नाटे में गूंजता रहा बाढ आयी, भागो,बचाओ का शोर
कामापुर गांव में रिमझिम बारिश और रात के घुप अंधेरे में भागो, बाढ आयी, बचाओ का शोर सुनायी देता रहा। बाढ प्रभावित कई घरों के लोग तो शोर सुनकर बाहर निकले और पानी उनके घरों में बाद में घुसा। बचे लोगों और उनके परिवार के सदस्यों ने ईश्वर और शोर मचाने वालों का धन्यवाद दिया। लोगों ने बताया कि शोर सुनकर लोगों ने सोचा कि गांव में चोर घुसे हैं। इसलिए एक का सुनकर दूसरे लोेग भी शोर मचाना शुरू कर दिए। इससे पूरे इलाके लोग रात में ही अलर्ट हो गए। इसी का परिणाम रहा कि बहुत से घर और परिवार के लोग बाढ में बहने से बच गए।


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