
भदोही। विधानसभा में विस्फोटक मिलने के बाद सियासी पार्टियां अलग-अलग बयान दे रही हैं। विपक्षी दल इसे सरकार की नाकामी बता रहे हैं तो सत्तारुढ़ दल इसे साजिश बता रहे है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने सपा सरकार के
विरोधी बने ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक मिश्र ने सरकार से सुर में सुर मिलाते हुए इसे सियासी षडयंत्र करार दिया है। निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्र का कहना है कि विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा है नहीं। सीएम योगी आदित्यनाथ पर कोई आरोप लगा नहीं सकते, इसलिए यह साजिश रची गयी। इसका मकसद सिर्फ सरकार को बदनाम करना है। उनका कहना था कि चुनिंदा कर्मचारियों के अलावा इस स्थान तक सिर्फ विधायकों का ही आना-जाना होता है। इसकी जांच करा कर दोषी को खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहियें ।
इशारों में साधा विपक्ष पर निशाना
विधायक का कहना है कि जिस रूप में विस्फोटक मिला उससे किसी की जान तो जा नहीं सकती। वैसे भी किसी जनप्रतिनिधि को मारना होगा तो वह सार्वजनिक जीवन में रहने के चलते हमेशा उपलब्ध रहता है। विधानसभा में विस्फोट कराना तो संभव नहीं था। इसका एक ही मकसद है, सनसनी फैलाना। जो भी इसे लेकर कुछ दूसरा बयान दे रहे है वह चोर की दाढ़ी में तिनके सरीखा है। इस तथ्य को ध्यान रखना चाहिये कि विस्फोटक विपक्ष की तरफ मिला है और इनमें कई लोगों की भूमिका संदिग्ध हैै।
जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए नियमो का पालन
विजय मिश्र का मानना है कि जनप्रतिनिधि होने के नाते ऐसा नहीं कि सभी नियमों में छूट मिल जाये। उन्हें तलाशी में सुरक्षाकर्मियों को सहयोग करना चाहिये। वाहनों की संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि इसे खड़ा करना मु्श्कल होता है। विधायक ही नहीं मत्रियों तक को आने के बाद अपने वाहन को भेज देना चाहिये और आवश्कता हो तो बुला लें।
इशारों में साधा विपक्ष पर निशाना
विधायक का कहना है कि जिस रूप में विस्फोटक मिला उससे किसी की जान तो जा नहीं सकती। वैसे भी किसी जनप्रतिनिधि को मारना होगा तो वह सार्वजनिक जीवन में रहने के चलते हमेशा उपलब्ध रहता है। विधानसभा में विस्फोट कराना तो संभव नहीं था। इसका एक ही मकसद है, सनसनी फैलाना। जो भी इसे लेकर कुछ दूसरा बयान दे रहे है वह चोर की दाढ़ी में तिनके सरीखा है। इस तथ्य को ध्यान रखना चाहिये कि विस्फोटक विपक्ष की तरफ मिला है और इनमें कई लोगों की भूमिका संदिग्ध हैै।
जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए नियमो का पालन
विजय मिश्र का मानना है कि जनप्रतिनिधि होने के नाते ऐसा नहीं कि सभी नियमों में छूट मिल जाये। उन्हें तलाशी में सुरक्षाकर्मियों को सहयोग करना चाहिये। वाहनों की संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि इसे खड़ा करना मु्श्कल होता है। विधायक ही नहीं मत्रियों तक को आने के बाद अपने वाहन को भेज देना चाहिये और आवश्कता हो तो बुला लें।
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